बालमन की बातें
बुधवार, 29 जनवरी 2014
बुधवार, 8 जनवरी 2014
नव वर्ष मंगलमय हो
झरने के शोर ने,
पर्वत की शांति को ,
हवाओं की सरसराहट से कहलाया
है –
स्वागत करो की नया वर्ष आया
है
जंगल में मोर ने,
कानन के पथिको के,
राह में पत्तियां बिछावाया
है –
स्वागत करो की नया वर्ष आया
है
चाँद के लिए चकोर ने,
जाड़े की भोर में,
कोहरे की चादर लिपटवाया है-
स्वागत करो की नया वर्ष आया
है
दिन की शुरुआत को,
भाष्कर ने,
पहली किरण दिखाया है –
स्वागत करो की नया वर्ष आया
है.
शनिवार, 30 नवंबर 2013
अपनी बात
श्री गणेशाय नमः |
शुरुआत " बालमन" से |बाबा जी ने मुझे यह नाम क्यों दिया यह नहीं जानता किन्तु बाबाजी के द्वारा इस नाम से पुकारा जाना अच्छा लगता था | और आज जब बाबा जी नहीं हैं तो यह नाम मुझे उनके होने का एहसास कराता है क्योंकि सिर्फ उन्होंने ही मुझे इस नाम से पुकार था | और अब यह नाम आप सब के बीच में है |उम्मीद करता हू कि मुझे आप सब का स्नेह भी मिलेगा |
ब्लोगिंग की इस दुनिया से मेरा परिचय ऐसे तो पांच साल पुराना हो चुका है पर विधिवत इसकी शुरुआत आज से ही कर रहा हूँ| वजहें कई थी,इसलिए इनके विस्तार में न जाते हुए बस यही कहूंगा कि मैं इस बात की कोशिश करूँगा कि आगे से नियमित लिख सकूँ|
क्या लिखुंगा पता नहीं ,कैसा लिखूंगा यह भी पता नहीं,हाँ इतना अवश्य है की जो भी लिखूंगा इमानदारी से लिखूंगा |पूर्ववर्ती वाक्य प्रतिज्ञा जैसा हो गया है ,तो ठीक ही है, क्योंकि इससे आपको मुझे टोकने का अधिकार मिल गया है| जब कभी मेरे लेखन में कुछ ऐसा दिखेगा जो आपलोगों को उचित न जान पड़े तो मुझे आपकी सुझावपूर्ण तथा तीखी प्रतिक्रियाएं तो मिलेंगी|
शुरुआत सिर्फ इतनी ही बात से .
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