शनिवार, 30 नवंबर 2013

अपनी बात





श्री  गणेशाय नमः
                               
शुरुआत " बालमन" से |बाबा जी ने मुझे यह नाम क्यों दिया यह नहीं जानता किन्तु बाबाजी के  द्वारा  इस नाम से पुकारा जाना अच्छा लगता था | और आज जब बाबा जी नहीं हैं तो यह नाम मुझे उनके होने का एहसास कराता है क्योंकि सिर्फ उन्होंने  ही मुझे इस नाम से पुकार था | और अब यह नाम आप सब के बीच  में है |उम्मीद करता हू  कि मुझे आप सब का स्नेह भी मिलेगा |
                                                   ब्लोगिंग की इस दुनिया से मेरा परिचय ऐसे तो पांच साल पुराना हो चुका है पर विधिवत इसकी शुरुआत आज से ही कर रहा हूँ| वजहें कई थी,इसलिए इनके विस्तार में न जाते हुए बस यही कहूंगा कि मैं इस बात की कोशिश करूँगा कि आगे से नियमित लिख सकूँ|

क्या लिखुंगा पता नहीं ,कैसा लिखूंगा यह भी पता नहीं,हाँ इतना अवश्य है की जो भी लिखूंगा इमानदारी से लिखूंगा |पूर्ववर्ती वाक्य प्रतिज्ञा जैसा हो गया है ,तो ठीक ही है, क्योंकि इससे आपको मुझे टोकने का अधिकार मिल गया है| जब कभी मेरे लेखन में कुछ ऐसा दिखेगा  जो आपलोगों को उचित न  जान पड़े तो मुझे आपकी सुझावपूर्ण तथा तीखी प्रतिक्रियाएं तो मिलेंगी|

           शुरुआत सिर्फ इतनी ही बात से .


 




















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