बुधवार, 29 जनवरी 2014
बुधवार, 8 जनवरी 2014
नव वर्ष मंगलमय हो
झरने के शोर ने,
पर्वत की शांति को ,
हवाओं की सरसराहट से कहलाया
है –
स्वागत करो की नया वर्ष आया
है
जंगल में मोर ने,
कानन के पथिको के,
राह में पत्तियां बिछावाया
है –
स्वागत करो की नया वर्ष आया
है
चाँद के लिए चकोर ने,
जाड़े की भोर में,
कोहरे की चादर लिपटवाया है-
स्वागत करो की नया वर्ष आया
है
दिन की शुरुआत को,
भाष्कर ने,
पहली किरण दिखाया है –
स्वागत करो की नया वर्ष आया
है.
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